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उत्तर प्रदेश में 8 लाख का रेट...यूपी में पुलिस एनकाउंटर ON SALE !

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सूर्य प्रताप सिंह। आम आदमी सावधान...उत्तर प्रदेश की ‘गोली-मार’ पुलिस का ख़ौफ़.... खुली छूट है..... अपराधियों  में ख़ौफ नहीं.....आमजन डरा, सहमा  क्यों है ? ये लोकतंत्र है या पुलिस राज, सरकार को जवाब देना होगा।
लखनऊ में निर्दोष, आम आदमी... विवेक तिवारी को पुलिस ने मार डाला। ऐसा ही नॉएडा में भी हुआ था, जब गत फ़रवरी में निर्दोष जितेंद्र कुमार यादव को पुलिस ने मार डाला था।
विवेक तिवारी कोई अपराधी नहीं था ... पुलिस को खुली छूट है कि ‘गोली मारो’.... उत्तर प्रदेश में क्या आजकल पुलिस राज है ?

हाल ही में ही एक पुलिस कर्मी का स्टिंग ऑपरेशन हुआ था जिसमें उसने काबुल किया था कि उत्तर प्रदेश में यदि कोई अपनी दुश्मनी निकलना चाहता है कि पुलिस का फ़र्ज़ी एंकाउंटर का रु. ८ लाख का रेट फ़िक्स है.... ये सच है  नहीं ..... पुलिस किसी को भी मार सकती है.... चूँकि उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस को गोली मारने की खुली छूट दी हुई है .... अपराध का ग्राफ़ लगातार बढ़ रहा है लेकिन अपराधियों को न मार कर क्या पुलिस निर्दोष आमजन को मार देगी ?
पुलिस के अफ़सर अपने मीडिया की बुला कर फ़र्ज़ी एंकाउंटर का लाइव प्रसारण करा रहे है .... बड़े अफ़सर मीडिया को बुलाकर अपने बड़े दिल होने का नाटक कर रहे हैं .... थानों में बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहे। आज भी थाने बेचे जा रहे हैं। आमजन को न्याय मिलना तो दूर .... थाने जाने में भी डर लगता है।
प्रदेश में प्रति दिन ४० बेटियों छेड़खानी का शिकार होती हैं। महिलाओं और बालिकाओं पर छेड़खानी की घटनाएं एक ही साल में दोगुनी हो गई हैं। वर्ष 2016-17 में जहां 495 घटनाएं हुईं थी तो अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 में 987 छेड़खानी की घटनाएं सामने आई हैं। महिलाओं और बालिकाओं के अपहरण की बात करें तो ऊपर दिए गए समय में 9828 से बढ़कर 13226 घटनाएं हो गई हैं। बलात्कार के आंकड़ें भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं. बलात्कार की घटनाएं 2943 से बढ़कर 3704 पर पहुंच गई हैं। बलात्कार की कोशिश की वारदात 8159 से बढ़कर 11404 के आंकड़े पर पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं दहेज के लिए भी महिलाओं को खूब प्रताड़ित किया जा रहा है। ये आंकड़ा 2084 से बढ़कर 2223 पर पहुंच गया है. उत्पीड़न की बात करें तो ये आंकड़ा 10219 से बढ़कर 13392 पर पहुंच गई हैं।
आज भी प्रति दिन २० हत्याएँ व १८ बलात्कार प्रति दिन हो रहे हैं जो पूर्व सरकार से कम नहीं अपितु अधिक ही हैं।
और ऊपर से तुर्रा ये है कि .....मुख्यमंत्री योगी जी कार्यभार लेते ही ने पुलिस पर बड़ा विश्वास व्यक्त किया था ....सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा " हमने आपको खुली छूट दे रखी है, मेरी पार्टी के नेता और विधायक भी हमसे नाराज हैं, लेकिन जो सही है आप बस वही करिए.".... लेकिन इसका तह मतलब नहीं कि किसी को भी गोली मार दो। प्रदेश में पुलिस राज नहीं हो सकता ....कानून और न्यायपालिका है, जिसे किसी आरोपी को सजा देने या न देने का अधिकार है, न कि पुलिस को।
मनमानी पर उतारू निरंकुश.... बेलगाम ....उत्तर प्रदेश की पुलिस .... सरकार को ये सब आमजन का बढ़ता आक्रोश भारी पड़ेगा.... चाहे SC/ST ऐक्ट में बिना जाँच  के जेल भेज देना हो या फिर पुलिस के गोली का शिकार होता, आमजन। अपने बचाव में अब विवेक तिवारी के चरित्र पर ऊँगली उठाकर ... दुखी परिवार के घावों पर पुलिस अधिकारी नमक छिड़क रहे हैं.... ये बर्दाश्त के बाहर है। 
यदि कोई उत्तर प्रदेश की पुलिस को आज वर्दीधारी सरकारी डकैत कह रहा है तो क्या ग़लत है ?
दूसरी सरकारों को कहना ... ‘बहुत हुआ गुंडाराज .... अबकि बार हमारी सरकार’ का क्या हुआ ?

पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह की एफबी बाल से
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